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LJA Events 2025


स्वराज पंचायत

 प्रस्तावित दिन: 7-8 अक्तूबर 2025, स्थान: विद्या आश्रम, सारनाथ, वाराणसी

बहुजन की पहल पर स्वराज निर्माण

पिछले कुछ समय से वैश्विक पैमाने पर राष्ट्र और राज्य की कल्पनाओं पर नई बहस आकार लेती रही है. ये बहस ज्यादातर दक्षिण अमेरिका में मूल निवासियों की नई राजनीति के उदय और दुनियाभर में कई देशों में नवरूढ़िवादियों (नियो कंज़र्वेटिव) की सरकारें बनने के चलते अस्तित्व में आई है. जिन विचारों के इर्द-गिर्द ये बहस हो रही है वे हैं बहुराष्ट्रीय-राज्य (प्लूरिनेशनल-स्टेट), सभ्यतागत-राज्य (सिविलिज़ेशनल-स्टेट), राष्ट्र-राज्य (नेशन-स्टेट), उदार लोकतंत्र (लिबरल डेमोक्रेसी), सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (कल्चरल नेशनेलिस्म). इस सबके बीच क्या ‘स्वराज’ पर बात करने की जगह बनती है? क्या स्वराज के नाम पर एक नई राजनीति के उदय की संभावना बनती है? क्या किसान आन्दोलन के ‘न्याय, त्याग और भाईचारा’ के नारे/मूल्य इस वैश्विक बहस में शामिल करने की पहल बहुजन समाज ले सकता है?

यह ‘बहुजन’ और ‘स्वराज’ पर एक बहुआयामी ज्ञान संवाद/विमर्श के आयोजन का प्रस्ताव है, जिसमेंउपरोक्त प्रश्नों के सन्दर्भ में विविध वैचारिक कोणों से विचार किया जायेगा.

पहला दिन: बहुजन ज्ञान विमर्श

    • बहुजन की पहचान
    • बहुजन-समाज का दर्शन – न्याय, त्याग और भाईचारे की परम्परायें
    • बहुजन की राजनीतिक और आर्थिक विरासत
    • बहुजन सशक्तिकरण में आरक्षण की भूमिका
    • बहुजन की शक्ति का ज्ञान आधार-लोकविद्या

दूसरा दिन: स्वराज ज्ञान पंचायत

    • क्या सामाजिक न्याय आन्दोलन का लक्ष्य स्वराज हो सकता है?
    • क्या अमरपुरी, बेगमपुरा… के मूल्य स्वराज में आकार ले सकते हैं?
    • क्या व्यापक बहुजन चेतना ‘स्वराज चेतना’ है?
    • आज स्वराज की ओर बढ़ने में साहित्य और कला की भूमिका
    • स्वायत्तता, स्थानीय बाज़ार, स्थानीय स्वशासन, लोकपहल और लोकविद्या की स्वराज में भूमिका

तीसरा दिन : प्रस्ताव

दो दिन हुई चर्चाओं को समाहित करते हुए एक वक्तव्य पेश हो. उस पर चर्चा हो. क्या बहुजन और स्वराज पर किया गया यह ज्ञान-संवाद/विमर्श हमें स्वराज पंचायत के नाम पर आगे बढ़ने का आधार देता है? यदि हाँ, तो उस प्रक्रिया पर बात हो और एक ठोस निर्णय पर पहुँचने का प्रयास हो.


Swaraj Panchayat

Proposed dates: 7-8-9 October 2025, Vidya Ashram, Sarnath

Building Swaraj with Bahujan Initiative

A debate on the ideas of ‘the nation’ and ‘the state’ has been shaping up at the global level for a while now.  The context in which the debate has arisen is two-fold: the rise of a new politics of the indigenous peoples in the  South American continent, and coming into power by neo-conservative political parties in several countries of the world. The debate has centered around the ideas of the plurinational state, the civilizational state, the nation state, liberal democracy and cultural nationalism. Where and how may the idea of ‘swaraj’ be located in this debate? Is it possible that the idea of ‘Swaraj’ inspires the inauguration of a new politics?   Can the Bahujan Samaj take initiative to bring the values of nyaya, tyaga and bhaichara to this global debate?

This is a proposal for organizing a multi-faceted knowledge dialogue on ‘Bahujan’ and ‘Swaraj’ in the context provided by the above questions and from various points of view.

Day 1: Bahujan Knowledge Dialogue

    • The Bahujan identity
    • Philosophical thought of Bahujan Samaj – Traditions of nyaya, tyaga and bhaichara
    • Economic and political legacy of Bahujan Samaj
    • Role of Reservations in Bahujan empowerment
    • The knowledge basis of Bahujan strength – Lokavidya

Day 2: Swaraj Gyan Panchayat

    • Should the socialjustice movement have Swaraj as its goal?
    • Can values of Amarpuri, Begumpura, … be realized in Swaraj?
    • Is the broad bahujan consciousness Swaraj-consciousness?
    • The role of literature and art in advancing Swaraj
    • The place of autonomy, local market, local self-governance, Bahujan initiative and lokavidya in Swaraj

Day 3: Resolutions

Presentation of a Statement capturing the debate over the Day 1 and Day 2. Discussion over the Statement. Address the question: Does the dialogue on Bahujan and Swaraj over the two days provide a basis to move forward as Swaraj Panchayat? If so, then discuss the process and try to reach a definite outcome.



वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर-दीनापुर की मासिक बैठक सम्पन्न

रविवार 25 मई 2025

आज दिनांक 25/ 5/ 2025 दिन रविवार को सलारपुर स्थित माता माई मंदिर में वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर- दीनापुर की बैठक बच्चे लाल राजभर पूर्व प्रधान की अध्यक्षता में संपन्न हुई। आज की बैठक में सलारपुर वार्ड में एक भी सार्वजनिक शौचालय न होने पर चिंता व्यक्त की गई। इसके अभाव में सड़क पर आने- जाने वाले लोगों, छात्रों और विशेष तौर पर महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस विषय पर बात करते हुए बच्चे लाल प्रधान जी ने कहा कि सलारपुर में नालों के पास तीन-चार जगह ऐसे हैं जहां पर नगर निगम सार्वजनिक शौचालय बना सकता है। इसके लिए पार्षद महोदय और महापौर महोदय से मिलकर लिखित पर प्रार्थना पत्र देने का निर्णय लिया गया। इस कार्य की प्रमुख जिम्मेदारी दिनेश कुमार ने लिया।
बैठक में विश्व भर में जगह-जगह हुए या हो रहे युद्ध पर चिंता व्यक्त की गई। भारत में हुए आतंकवादी हमले या भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका का षड्यंत्र, साजिश, और दादागिरी जमाये रखना चाहता है। यह हमारे मान- सम्मान और स्वाभिमान के विरुद्ध है।
इसराइल और फिलिस्तीन के युद्ध में फिलिस्तीन में जिस तरह से भुखमरी फैली हुई है, बड़े पैमाने पर बच्चे भूखों मर रहे हैं और जनसंहार हो रहा है यह घोर चिंता का विषय है। युद्ध सिर्फ त्रासदी और विनाश लाता है। आज की बैठक में एक सुर से सभी लोगों ने इजराइल फिलिस्तीन युद्ध को तत्काल रोकने का विश्व समुदाय से अनुरोध किया।
आज की बैठक में सर्वश्री बच्चे लाल राजभर, रामचंद्र, राहुल सेठ, वसंतलाल गीता देवी, सुरेंद्र कुमार, सूरत ,शहरी पाल, सदानंद ,रामरतन, रामधनी, जगदीश कुमार, जय किशुन, गोपाल, लक्ष्मण इत्यादि लोग शामिल रहे।


वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर दीनापुर की मासिक बैठक

रविवार 27 अप्रैल 2025

वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर -दीनापुर की मासिक बैठक आज दिनांक 27 अप्रैल 2025 दिन रविवार को शाम 5:00 बजे माता माई मंदिर सलारपुर में डाक्टर रामधनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई । सर्वप्रथम कश्मीर के पहलगाम में मृतकों को श्रद्धांजलि दी गई एवं समस्त पीड़ितों घायलों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई तथा उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की गई। पहलगाम की घटना क्रम को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता । देश में अस्थिरता का माहौल खड़ा करना और हिंदू मुस्लिम में बांटकर देश को कमजोर करना करने का काम जारी है । बांटो और राज करो की नीति अपनाकर अंग्रेजों ने भारत पर शताब्दियों तक शासन किया जाते-जाते देश को बांट दिया, और भारत से जाने के बाद भी बांटो और राज करो नीति के अंतर्गत भय एवं आतंक का माहौल बनाया जा रहा है।
वार्ड ग्राम पंचायत कि आज की मीटिंग में सामूहिक विकास की भावना की जगह एकांकी विकास की भावना पर चिंता व्यक्त की गई। इस कारण समाज कमजोर हो रहा है लोगों का आपस में मिलना जुलना और आपसी सहयोग के साथ कार्य करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है । हर व्यक्ति अपने तक सीमित होता जा रहा है। यह समाज और देश के लिए घातक है। पंचायतों, गोष्ठियों ,सम्मेलनों इत्यादि का लोप होता जा रहा है ।पुनः सामूहिकता की भावना कायम करना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। वार्ड ज्ञान पंचायत के वास्तविक स्वरूप को बनाकर यह कार्य संभव किया जा सकता है।
आज की बैठक में लक्ष्मण ,सतीश ,बच्चे लाल , बाबूलाल ,रामधनी, सुरेंद्र कुमार, रामचंदर, जयप्रकाश, सदानंद शामिल हुए।
ज्ञान-यात्रा


लोकविद्या समन्वय समूह, इंदौर का बुलेटिन
रविवार, 20 अप्रैल 2025

मालवा-निमाड़ अंचल के लोगों का लोकविद्या का दावा

मालवा-निमाड़ अंचल में लोकविद्या समन्वय समूह, इंदौर और लोकविद्या कला केंद्र, इंदौर के लगातार चल रही मुहीम से अंचल में लोकविद्या विचार  की एक पहचान बन रही है। यह  निम्नलिखित प्रक्रियाओं में साफ़ नजर आती है।

  1. आदिवासी, किसान, कारीगर, छोटे-छोटे दुकानदारों और इन सबके परिवारों की स्त्रियों का ज्ञान एकजुट होकर, लोकविद्या सत्संगों के माध्यम से अपनी बात रखने लगा है।
  2. पुरूष और स्त्री दोनों की जोड़ी मिलकर नई-नई कला रचनाएँ बनाकर भी अपने ज्ञान का दावा रखने लगे हैं। इन्हीं जोड़ीयों को पारो-दरिया का नाम दिया है।
  3. गांव भकलाय और भीलामी में लोकविद्या बोल की झोपड़ी बनाई है जिसमें ज्ञान-पंचायत बैठाई जाती है।ऐसी लोकविद्या बोल की झोपड़ी का निर्माण अंचल के गांव-गांव में करने का मन बनाया है।
  4. अंचल के लोगों द्वारा लोकविद्या ज्ञान-यात्राएं निकाली जाती है। इन यात्राओं के माध्यम से अंचल के लोकविद्या हाटों को एक-दूसरे से जोडने का प्रयास हो रहा है।शुरूआत में गांव चोली और गांव गुलावड के हाटों में लोकविद्या सत्संग करना तय हुआ है।
  5. मालवा-निमाड़ अंचल लोकविद्या समन्वय समूह बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। समन्वय समूह बनने सेअंचल की पारो-दरिया जोडियाँ अपने ज्ञान-आंदोलन की बात को आसानी से, अलग-अलग तरीकों से रख सकेगी।

पिछले महिने मार्च में गांव भकलाय से लोकविद्या-घाट, मण्डलेश्वर तक की लोकविद्या ज्ञान-यात्रा आयोजित की गई थी जिसमें लगभग बीस गांवों के लोगों ने बढचढ कर भागीदारी दिखाई है।

लोकविद्या ज्ञान-यात्रा में भागीदार
  1. गांव भकलाई: घनश्याम भाबर, सुशीला भाबर, शिवम भाबर, उर्मिला भाबर, जगदीश सिंह भूरिया, थावरी बुआ भूरिया, रामलाल पीपलदे,बागू बाई पीपलदे, लीला भाबर,लीला भूरिया,अनार बुआ भूरिया,दारासिंह दादा भूरिया, दयाराम सरपंच भूरिया, मनोहर सिंह भाबर, विनोद मालीवाड़, फूलचंद भाबर, पुनाबाई भाबर, पीहू भाबर, बाबूलाल भाबर, सकूबाई भाबर, मुकेश मालीवाड़, सविता मालीवाड़, सुकमा मालीवाड़।
  2. गांव नवरंगपुरा: मोहन सिंह औसरी, जीजा औसरी, नवल भाई औसरी।
  3. गांव भीलामी: करणसिंह भाबर, सविता भाबर, संध्या भाबर, रमेश बाबा, जादू भाबर ।
  4. गांव सिरसिया: चंदू सरपंच भाबर,नानूराम बारूड, श्याम बारूड।
  5. गांव बामनपुरा(मांडव): राधेश्याम निनामा, कालूसिंह मसारे।
  6. गांव सरायगरडोमी: बिलमनभाई बडूख्या।
  7. गांव खोकरिया: जगन गिरवाल ।
  8. गांव भूरीबईडी: प्रताप भाबर।
  9. गांव भुदरी: किशोर महाराज, पदम नायक, सिमरीष नायक, शिवराम भाबर, कुड़वा भाई यादव, कन्हैयालाल पाटीदार, एकवे यादव।
  10. गांव मेहतवाडा: रतन मारवाड़।
  11. गांव ढापला: राधेश्याम प्रजापत, रामू डाबर।
  12. गांव चोली: भगवान पाटीदार, कौशल भाई सेठ, सीताराम भाई, महादेव यादव।
  13. गांव बागदरा: गोलूभाई बारीया ।
  14. गांव अवलिया: देवराज बुंदेला।
  15. गांव पलासघाट: रामलाल डाबर, प्रेम डाबर,जवान बारूड, सुखदेव बारूड।
  16. गांव सिरायला माल: नारंगी बाई गावड।
  17. गांव गुजरमोहना: तोलसिंह मेडा, हरेसिंह गिरवाल।
  18. गांव झाडी गुजरमोहना: देवकरण, धनसिंह भूरिया।
  19. गांव आवल्या तलाव: आयुष बारिया।
  20. गांव काकडीया मउ: ताराचंद कटारिया, बाला कटारे।
  21. गांव बागलीया: राधेश्याम वखुनिया, लालू मकवाने।

वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर दीनापुर की बैठक

रविवार 30 मार्च 2025

दिनांक 30 मार्च 2025 दिन रविवार को दिन में 3:30 बजे वार्ड ज्ञान पंचायत सलारपुर दीनापुर की बैठक पूर्व प्रधान श्री बच्चे लाल राजभर की अध्यक्षता में अमर शहीद जगदेव प्रसाद प्रतिमा स्थल सलारपुर में हुई। आज की बैठक में वार्ड के समस्याओं के ऊपर खासतौर से पेयजल, सार्वजनिक शौचालय और गरीबों के लिए बारात घर निर्माण करवाने की बातें हुई । आज की राजनीति और स्वराज पर भी चर्चा हुई। वार्ड ज्ञान पंचायत के बैठकों में और लोगों को शामिल किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई।
आज की बैठक में लक्ष्मण प्रसाद, जय प्रकाश, राजकुमार, राम रतन, दिनेश कुमार, रामचंद्र, विजय कुमार, अरविंद, बच्चे लाल, बाबू लाल, रामबली, गीता देवी, राजेंद्र प्रसाद, महेंद्र प्रताप, सुजीत, सदानंद, अभिषेक शामिल हुए।


लोकविद्या ज्ञान-यात्रा

गुरुवार 6 मार्च 2025
मालवा-निमाड़ के लोकविद्याधरों का  लोकविद्या का दावा

ज्ञान-यात्रा
ज्ञान-यात्रा ने ग्राम भकलाय से लोकविद्या घाट, मण्डलेश्वर नरबदा माता के तट तक का रास्ता तय किया। इस ज्ञान-यात्रा का विवरण कुछ फोटो और विडियो के माध्यम से दे रहे हैं। बहुत आनंद और उत्साह के साथ लोगों ने अपनी बातें रखने का प्रयास किया है। आगे भविष्य में क्या कर सकते हैं वह भी लोग बता रहे हैं। लोकविद्या कला केंद्र, इंदौर और लोकविद्या कला केंद्र, भकलाय मिलकर काम करने की योजना बना रहे हैं। कलाकार, कलाप्रेमी और लोक विद्याधरों को लेकर  लघु फिल्मों की श्रृंखला बनाने पर काम कर रहे हैं।  यह लोकविद्या जन आंदोलन की गतिविधियों को आगे बढ़ाता है। इस सिलसिले में एक पारो-दरिया जोड़ियां केंद्र में ली गई है जो सतत कला जगत से संवाद करती है। फिल्म में अलग-अलग प्रकार के लोग नई-नई रचनाएं बनाने का प्रयास करते दिखाए गए हैं। फिल्मांकन का माहौल बनाने में कई दिन लग जाते हैं, लेकिन यह गतिविधि सतत चलते रहने वाली है जो लोगों को अपनी बात रखने के लिए अच्छा माहौल तैयार करती है।

ज्ञान-यात्रा

लोकविद्या सत्संग और ज्ञान-यात्रा के कुछ : फोटो और विडियो


लोकविद्या समन्वय समूह, इन्दौर का कार्य

लोकविद्या समन्वय समूह (लो.स.स.) इन्दौर की पिछले कुछ वर्षों की गतिविधियों को कला के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से इन्दौर में लोकविद्या कला केन्द्र इन्दौर की स्थापना वर्ष 2022 में की गई।  पिछले तीन वर्षों में विभिन्न कलाविधाओं में, कलाकारों और लोकविद्याधरों ने मिलकर निम्ननलिखित ई-नई बातें सामने लाई हैं जिन पर विचार और कार्य जारी है।

  1. कला, कलाकार, कलाप्रेमी और लोकविद्याधर मिलकर लोकविद्या दर्शन को केन्द्र में रखकर नई-नई रचनाओं की श्रंखला बना सकते हैं। यानी गांव-शहर में ऐसी हलचल पैदा कर सकते हैं जिसमें सामान्य लोगों में सक्रिय भागीदारी करने की ज्योत जल उठे। इस संदर्भ में गांव-शहर में कला समागम को किसी लोजआ की गतिविधि के साथ जोड़ कर किया जा सकता है। जैसे लोकविद्या ज्ञान-यात्रा, ज्ञान-पंचायत या अन्य।
  2. लोकविद्याधर समाज में स्त्री-पुरुष की जोड़ी, जहाँ-तहाँ मिलकर काम करती नज़र आती है।इन जोडियों को बहुत निकट से, गहराई से समझने पर ऐसा लगता है कि इनके पास लोकविद्या दर्शन को खोलने की असीमित क्षमता हैं। केवल पुरुष या केवल महिला के बनिस्बत जब यह जोडी मिलकर कोई बात रखती है तो वह बात सामान्य लोगों को छू जाती है क्योंकि वह उनके जीवन के कार्यों में भी सहज झलकती है।
  3. पारो-दरिया की जोड़ी एक मुट्ठी अनाज ज्ञान-घडे में देने की बात करती है। दावा रखती हैं कि किसानी की लोकविद्या के बल पर हम पूरे देश को स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन खिलाने की जवाबदेही लेनेको तैयार है।
  4. हाटों को सत् का स्थान बनाऐंगे। सत् सपता का आयोजन हाटों को जोडता है और लोकविद्या का दावा गढता है।
  5. मालवा-निमाड़ अंचल में भकलाय गांव में लोकविद्या कला केन्द्र बनेगा जो मालवा-निमाड़ अंचल लोकविद्या समन्वय समूह चलाएगा।
  6. सामान्य जीवन के बाशिंदे अनेक खूबियाँ लिए हैं। इनमें से जो लोग  ज्ञान, गुरू या सत् के पीछे श्रध्दा से  खड़े हैं उनमें ही यहां के सत्संगी आते हैं। लोकविद्या का विचार इन्हें रूचिकर लगता है। अन्यथा, अन्य समाजों में ज्ञान, गुरु, सत् से भिन्न कोई बात केन्द्र में है। इसलिए ऐसे समाजों में लोकविद्या की बात करना ज्यादा चुनौतियां लिए है।
  7. विभिन्न सत्संग मण्डलो को जोड़ कर और फिर उनके द्वारा हाटों को जोडते हुए, अनेक प्रकार की ज्ञान यात्राएं निकालकर सभी समाजों के लोगों तक लोकविद्या का दावा पहुंच सकता है।
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